Thursday, September 15, 2011

है आनंद अकेलेपन में

है आनंद अकेलेपन में

जब तक चाहे हँसते रह लो
या फिर चाहे जी भर रो लो
कौन यहाँ जो तुझको रोके
कौन यहाँ जो तुझको टोके
कर लो वो सब जो है मन में

है आनंद अकेलेपॅन में

जीवन का विस्तार देख लो
प्रकृति के उस पार देख लो
अच्छे बुरे का ध्यान छोड़ तुम
जो चाहे अपरंपार देख लो
पा लो जो है जीवन में

है आनंद अकेलेपन में

जब आप अकेले होते है
खुद के भीतर भी खोते हैं
कुछ अच्छे कुछ बुरे किंतु
यादो के मोती पिरोते है
क्या क्या मिलता है हर क्षण में

है आनंद अकेलेपन में

तब आप समझ ये पाते हैं
क्यों भौरे गुन गुन गाते हैं
क्‍या पेड़ नशे में झूम रहा
क्यो बादल छा जाते हैं

क्यों ख़ुसबु बिखरी आज पवन में

है आनंद अकेलेपन में

1 comment:

  1. http://hindi-kavitayein.blogspot.in/2010/07/blog-post_30.html

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