Friday, January 8, 2016

"खुशियों का बचपन"

""खुशियों का बचपन""



अब बड़ा हो गया पर यार सच बोलूँ वो बचपन फिर से जीना चाहता हूँ...

जब छोटा था तब हमेशा सोचता था की वो जो पड़ोस में रहने वाले भैया कितने मजे से अपनी जिंदगी जीते है अपनी खुद की बाइक चलाते है, अपनी मर्जी के कपडे पहनते है, बाल कटवाते है, सिनेमा जाते है और हाँ कभी कभी छुप कर दूर पान के खोके पे सिगरेट पीते है तब मै भी ये सोचा करता था की बड़े हो कर अपनी मर्जी का करूँगा....बाल और कपड़ो को ले कर तो खासी दिक्कत थी घर वालो से और अब जब ये सब कर के देख लिया तब जाना वो शाम को पापा के जूते की आवाज़ से डर कर टीवी बंद कर देना और किताब ले कर बैठ जाना, में जो मजा था वो इस बेरुखी वाले बड़प्पन में नहीं....

सब्जी खरीद कर लाते हुए बचे हुए पैसो से बाहर का खाना और मम्मी से सब्ज्यिों के दाम बड़ा कर बताना, वो जानती सब थी मगर कहती कुछ ना...अब वो खुद के पैसो से खरीदे हुई चाऊमीन और समोसे में वो स्वाद नहीं आता बस ऑफिस से आते वक़्त भूख मिटा देते है...

वो गर्मिया भी क्या खूब हुआ करती थी मोह्हले के सब का बाहर निकल कर बैठना और बच्चो का ना पढ़ने का एक soild बहाना बिजली नहीं है और अब ये इन्वर्टर,जनरेटर ने बहुत सारे बचपनो का एक अच्छा बहाना छीन लिया....

तब जरूरतें बहुत जायदा थी, कमाई कम मगर खुशियाँ बहुत जायदा; अब जरूरतें कम होती जा रही है कमाई जायदा पर खुशियाँ कही उस बचपन की गेंद की तरह खो गयीं है जिसे क्रिकेट खेलते हुए बहुत दूर मार दिया करता था और वो कही झाड़यिों में खो जाया करती थी....

एक सलाह देता हूँ अपने आसपास के बच्चों को सही गलत का जायदा पाठ मत पढ़ाईयेगा ...करने दीजेगा कुछ चोरिया, कुछ गलतियाँ और बहुत सारी शरारतें हाँ ये गलतियां बड़ न करदे इसका ध्यान भी रखें,  क्यूंकि ये बचपन की यादे ही बड़े हो कर उसकी रोजमर्रा की जिंदगी और उस जिंदगी की जरुरतो में कभी कभी छोटी सी मुस्कान ला दिया करेंगी चेहरे पर....
   
"एक तस्वीर के साथ छोड़े जाता हूँ ताकि आप अपने बचपन की कुछ खटी कुछ मीठी कहानियों को याद करते रहें"। ☺☺😢😢